
इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) का नाम सुनते ही एक खामोश और बेहद खतरनाक शक्ति की छवि उभरती है। यह वो एजेंसी है जो न तो भूले और न ही माफ करती है। 13 दिसंबर 1949 को जब डेविड बेन गुरियन ने इसकी नींव रखी थी, तब शायद किसी को अंदाज़ा नहीं था कि एक दिन यह दुनिया की सबसे चर्चित और ताकतवर खुफिया एजेंसी बन जाएगी।
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मोसाद का गठन और शुरुआती ढांचा
इजराइल की स्थापना के कुछ ही समय बाद हगानाह, इरगुन, लेही और पालमच जैसे यहूदी उग्रवादी गुटों को मिलाकर मोसाद का गठन हुआ। इसका उद्देश्य था – राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सीमाओं से बाहर तक दुश्मनों का खात्मा।
पहले निदेशक: रूवेन शिलोह
विशेषता: कोवर्ट ऑपरेशन्स और फाल्स फ्लैग मिशन
गोल्डा मेयर और ऑपरेशन व्रैथ ऑफ गॉड
1972 में म्यूनिख ओलंपिक के दौरान 11 इजरायली खिलाड़ियों की हत्या ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। गोल्डा मेयर ने मोसाद को खुली छूट दी – “बदला लो, दुनिया देखे।”
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टारगेट: ब्लैक सेप्टेम्बर और PLO के आतंकी
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प्लान: हर आतंकी को 11 गोलियों से मारा गया
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संदेश: “हम ना भूलते हैं, ना माफ करते हैं।”
महमूद अल मबूह की रहस्यमयी हत्या
2010 में दुबई के होटल में हमास के हथियार सप्लायर महमूद अल मबूह की हत्या हुई।
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तरीका: सक्सिनीकोलीन इंजेक्शन और तकिए से दम घोंटना
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एजेंट्स: महिला और पुरुष एजेंट्स की मिक्स टीम
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टेक्नीक: इलेक्ट्रॉनिक लॉकिंग, फेक पासपोर्ट, 24×7 निगरानी
अबू जिहाद की 70 गोलियों वाली मौत
यासिर अराफात का सबसे करीबी अबू जिहाद ट्यूनीशिया में छिपा था, लेकिन मोसाद की नज़र से कहां कोई बच पाया है?
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टीम: 30 एजेंट्स
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योजना: बोइंग 707 से कम्युनिकेशन जैमिंग
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अंजाम: 70 गोलियों से फुलप्रूफ एग्जीक्यूशन
ऑपरेशन थंडरबोल्ट: इतिहास का सबसे साहसी रेस्क्यू
1976 में हाईजैक हुआ एयरबस, युगांडा के एंटबी एयरपोर्ट पर रुका।
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हाईजैकर डिमांड: कैदी आतंकी और $5 मिलियन
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प्रधानमंत्री का निर्णय: सैन्य रेस्क्यू
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कमांडो मिशन: 100 कमांडोज़, 53 मिनट का ऑपरेशन
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बलिदान: योनतन नेतन्याहू (बेंजामिन नेतन्याहू के भाई)
नतीजा: 102 बंधक रेस्क्यू, 3 हाईजैकर मारे गए, मोसाद को मिला नया दर्जा — द किलिंग मशीन।
मोसाद और हसीनाएं: खूबसूरती के पीछे मौत
1986 में मोसाद ने महिलाओं को ऑपरेशनल एजेंट्स के तौर पर भर्ती करना शुरू किया।
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रूप, संवाद और दिमाग से टारगेट तक पहुंच
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नियम: कोई फिजिकल रिलेशन नहीं, सिर्फ मिशन
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उपलब्धियाँ: कई मिशन हसीनाओं की वजह से सफल
मोसाद क्यों है सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी?
कारण | विवरण |
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कोवर्ट एक्शन में माहिर | बिना नाम, बिना पहचान, सिर्फ अंजाम |
फाल्स फ्लैग ऑपरेशन | दुश्मन के ही नाम से हमला |
दुनिया भर में नेटवर्क | 100+ देशों में एक्टिव एजेंट्स |
टेक्नोलॉजी और मानव इंटेल का मेल | ड्रोन से लेकर डमी पासपोर्ट तक |
मोसाद से क्या सीख सकते हैं भारत जैसे देश?
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तेज निर्णय और साहसी नीति
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अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में रहकर आत्मरक्षा का अधिकार
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आतंकवाद के ख़िलाफ़ जीरो टॉलरेंस नीति
मोसाद कोई साधारण खुफिया एजेंसी नहीं है। यह एक ऐसे राष्ट्र का हथियार है जो अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरता है। चाहे वो दुश्मन देश की सरहद हो या दुनिया के किसी कोने में छिपा आतंकी – मोसाद पहुंच जाता है।